12 जून 2025। दोपहर का समय। एक आम सा दिन। लोग अपने कामों में व्यस्त। उसी बीच एक खबर आती है। खबर इतनी भयानक, कि सुन कर किसी के भी होश उड़ जाए। गुजरात के अहमदाबाद एयरपोर्ट से एक विमान लंदन के लिए उड़ता है। उड़ान भरने के सिर्फ 36 सेकंड के बाद वो प्लेन क्रैश हो जाता है। हादसे में 260 लोगों की मौत हो जाती है। फिलहाल उसी दुर्घटना की जाँच चल रही है। लेकिन विदेशी मीडिया ने मानवता की सारी हदों को पार करते हुए, क्रैश का जिम्मेदार प्लेन के पायलट्स को बना दिया।
AAIB द्वारा प्रकाशित शुरुआती रिपोर्ट में दोनों पायलट द्वारा बोले गए एक-एक वाक्य को छापा गया। न कोई ऑडियो फाइल पब्लिक की गई, न ही वो कोई फाइनल रिपोर्ट है। उस लाइन को उठाते हुए ग्लोबल मीडिया ने अपना नैरेटिव गढ़ना शुरू कर दिया। पहले वेस्टर्न मीडिया ने आशंका जताते हुए ये कहा, – “क्या पायलट ने फ्यूल स्विच ऑफ किया था?” और अब उसी मीडिया ने सीधे तौर पर भारतीय पायलट सुमीत सभरवाल को दोषी बना दिया।
इसकी शुरुआत सबसे पहले ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ (WSJ) ने की। 16 जुलाई 2025 को वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट्स में बताया कि एअर इंडिया हादसे की जाँच सीधे तौर पर AI-171 के मुख्य पायलट सुमीत सभरवाल पर केन्द्रित हो गई है। इस रिपोर्ट में, 3 दशक से विमान उड़ा रहे पायलट सुमीत सभरवाल को फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद करने का दोषी ठहरा दिया गया। और कहा गया कि इसी के कारण ये हादसा हुआ।
किसी भी प्रकार की पुष्टि किए बिना ही WSJ ने अपने रिपोर्ट्स में कहा कि हादसे के बाद बरामद हुए विमान के ब्लैक बॉक्स में सेव हुई आवाज की रिकॉर्डिंग इशारा करती है कि कैप्टन सुमीत सभरवाल ने ही फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद किए।
WSJ द्वारा लिखी इस रिपोर्ट के बाद अन्य विदेशी मीडिया ने भी एक ही राग अलापना शुरू कर दिया। रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग, CNN और न्यू यॉर्क पोस्ट समेत बाक़ी अमेरिकी मीडिया संस्थानों ने सीधे तौर पर अपनी हेडलाइंस और खबर में कैप्टन सुमीत सभरवाल को फ्यूल कंट्रोल स्विच बंद करने का और इस दुर्घटना का दोषी मान लिया।
आप ये मत समझिएगा कि सिर्फ विदेशी मीडिया ने ही ये नैरेटिव चलाया बल्कि देसी मीडिया ने भी विदेशी मीडिया के सुर में सुर मिलाते हुए एयर इंडिया के पायलट्स को ही दोष देना शुरू कर दिया। बिज़नेस स्टैण्डर्ड और डेक्कन हेराल्ड ने कथित पायलट की गलती है, ऐसी हेडलाइन चलाई।
विदेशी मीडिया के द्वारा चलाए जा रहे नैरेटिव पर अब AAIB ने अपील की है। उन्होंने कहा है कि फाइनल रिपोर्ट आने तक कुछ भी भ्रामक खबरें न चलाये, न ही किसी को सीधा दोषी सिद्ध कर दें। एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ने साफ़ कहा है कि ये जल्दबाजी सिर्फ और सिर्फ घटिया जाँच की वजह से हुई है। एसोसिएशन ने तो वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्ट को भी पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया।
एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 की उड़ान के दौरान उन 36 सेकंड्स में क्या हुआ था, ये सिर्फ उन दोनों पायलट्स को पता था। लेकिन विदेशी मीडिया अपनी नैरेटिव बना रहा है, और उसके साथ कोरस सिंगर के जैसे भारतीय मीडिया भी वही सुर अपना रहा है।
NDTV पर एयरलाइन एक्सपर्ट्स रंगनाथन ने यह कहा कि फ्यूल का स्विच किसी खराबी की वजह से बंद नहीं हो सकता है। रंगनाथन के मुताबिक उसे जान बूझकर बंद किया गया, जो एक तरह से सुसाइड था। ये रंगनाथन वही एक्सपर्ट हैं, जिन्होंने एक महीने पहले न्यूज़ मिनट को दिए इंटरव्यू में ये कहा था – “जाँचकर्ता सारा दोष पायलट्स पर थोप देंगे, या फिर एयर इंडिया के मेन्टेनन्स पर।” आज उसी एक्सपर्ट ने कितनी आसानी से एयर इंडिया के एक अनुभवी पायलट को दोषी करार दिया। दोगलेपन की परिभाषा इन पर सटीक बैठती है।
एक प्रोफेशनल के तौर पर सारे हदों को ये कथित एक्सपर्टस भूल चुके हैं। क्योंकि बंद कमरे में एसी ऑन करके ज्ञान देना बहुत आसान है। सिर्फ कुछ व्यूज और थोड़ी सी वेबसाइट ट्रैफिक के लिए अपने हेडलाइन में मृतक पायलट्स को दोषी करार देना शायद बड़े न्यूज़ चैनल के लिए आसान होगा, लेकिन मानवता के लिए नहीं।
आप जरा सोचिए कि जब एक्सपर्ट्स, बड़े-बड़े न्यूज़ चैनल, अखबार आदि ने बिना किसी जाँच के पायलट्स को ही दोषी बना दिया तो आम जनता के मन में क्या-क्या सवाल उठ रहे होंगे? कितनी बातें हो रही होंगी? 12 जून 2025 की दोपहर AI 171 प्लेन क्यूँ क्रैश किया, ये जाँच का विषय है, और जाँच चल रही है। लेकिन पूरी जाँच होने से पहले ही किसी निष्कर्ष पर पहुँच जाना जायज़ नहीं।