सरेंडर तो नेहरू और इंदिरा ने किया था राहुल गाँधी… इसलिए Rahul Gandhi Needs to Shut Up!

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राहुल गाँधी फिर से अपने असली अवतार पर उतर आये हैं। राहुल गाँधी मध्य प्रदेश के दौरे पर थे, जहाँ अपने संबोधन में उन्होंने क्या कहा है आप भी सुनिए– राहुल गाँधी का कहना है कि ट्रंप का एक फ़ोन कॉल आया और नरेंद्र मोदी ने सरेंडर किया। बात वहीं घूम फिरके आती है कि राहुल गाँधी को ऑपरेशन सिन्दूर पच नहीं रहा है… उनकी डिक्शनरी से तारीफ करने के शब्द ख़त्म हो चुके हैं तो अब उनको एक नया शब्द मिला है – ‘सरेंडर’

वैसे देखा जाए तो ट्रंप ने अगर इतनी ही मदद की होती तो पाकिस्तान सीजफायर क्यूँ तोड़ता? यहाँ भारत पाकिस्तान का चैप्टर ओवर कर चुका है लेकिन आप सरेंडर का विषय ले आये हैं, ले ही आये हैं तो शुरू करते हैं नेहरू जी से। जब दादा नेहरू ने जिन्ना के कहने पर भारत के मैप से पाकिस्तान निकाल कर मुस्लिम लीग के सामने सरेंडर किया।

उसके बाद 1948 में गिलगिट बल्तिस्तान ने सरेंडर किया। 1962 में आपके दादा ने अक्साई चीन के पूरे क्षेत्र को चीन के सामने सरेंडर किया। इतना ही नहीं, कोको द्वीप सरेंडर किया, काबू वैली सरेंडर की। और दादी इंदिरा ने तो पहले इमरजेंसी में डेमोक्रेसी ही सरेंडर कर दी। 1970 में कल्चरल, एजुकेशनल और सोशल वेलफेयर की आत्मा को रूस के सामने सरेंडर किया। और तो और मित्रोखिन आर्काइव्स (Mitrokhin Archive) से तो पूरी दुनिया को ही पता चल गया था कि KGB की Vano यानी राहुल गाँधी की दादी को कैसे सोवियत ने पूरी तरह से अपने क़ब्ज़े में ले लिया था।

रूसी वामपंथी तब अपनी किताब में लिख चुके हैं कि उस समय पूरा भारत ही बिकने को तैयार था। इसलिए देश को सरेंडर करना किसे कहते हैं, राहुल गाँधी को अपने घर में पहले देखना चाहिए। USSR की ख़ुफ़िया एजेंसी के चरणों में इंडिया के इंटलेक्चुअल्स, हमारी ख़ुफ़िया एजेंसी, कॉन्फ़िडेंशियल डिटेल्स, ब्यूरोक्रेट्स, राइटर्स और पूरा एजुकेशन सिस्टम को सोवियत के सामने सरंडर कर दिया था।

1971 में कश्मीर का मुद्दा बिना सॉल्व किए इंदिरा दादी ने शिमला अग्रीमेंट साइन कर सरेंडर किया था। 1971 में ही हमने पाकिस्तान के अंदर घुस कर पाकिस्तान का कुछ हिस्सा हथिया लिया था लेकिन तुम्हारी इंदिरा ने वो लैंड भी सरेंडर कर दी थी, क्यों भूल गए?

इनके बाद आए इनके वालिद राजीव गाँधी। जिनकी जुबां शाह बनो केस के समय मौन व्रत को सरेंडर हो चुकी थी। चार मौलवियों की भरी आँखें देख कर ये उनको सरेंडर कर बैठे।

सोनिया आंटी तो चार कदम आगे निकलीं। उन्होंने अपने प्रधानमंत्री की कुर्सी खुद को ही सरेंडर करवा दी और इसके बाद कॉन्ग्रेस पार्टी ने खुद को अर्बन नक्सलिओं के सामने सरेंडर कर दिया।

इतने से मन नहीं भरा तो अब उनका बालक बुद्धि बेटा अपनी बुद्धि ऊपर वाले को सरेंडर करके बैठा है। और इसमें कोई शक नहीं कि उन्होंने अपनी बुद्धि सालों पहले चीन को भी सरेंडर कर दी है।

बुद्धिहीन मिस्टर थाइलैंड कसोल का सुपर मारिओ फूँक-फूँक के बड़े  हुए हैं। ये दूसरों को “धक्का मारने की सीख दे रहे” जबकि इनकी पार्टी तो खुद इनको धक्का मारने में लगी है। कभी इनकी पार्टी इनको धक्का देती है तो कभी ये अपने पार्टी के नेताओं को धक्का देते हैं, तो कभी दूसरी पार्टी के नेताओं को धक्का देते हैं।

राहुल गाँधी अर्बन नक्सलियों के पैरों तले इतना सरेंडर कर चुके हैं कि ये जो आज बोल रहे हैं, इसमें निसंदेह ध्रुव राठी की स्क्रिप्ट लीक कर दी गई है। राहुल गाँधी जगह-जगह संविधान ले जाते हैं लेकिन असल में उनके नोट्स चीन के संविधान से बने दिखते हैं। जिस पार्टी ने देश चलाने की कोशिश की, उसी पार्टी के राजकुमार देश जलाने की कोशिश में लगे हैं।

नरेंद्र… सरेंडर… राहुल… बत्ती गुल! 

इन लोगों का धक्का मारो बोलने का तरीका काफी अराजक नहीं है? क्योंकि धक्का मारो आवाज इनकी कब-कब आती है? जब-जब हिन्दू आवाज़ उठाए, तब धक्का मारो… जब-जब भारत की एकता की बात आए, तब स्टेज पर चिल्लाओ कि इन्हें धक्का मारो। जब संसद में कोई नेता बगल से जाए तो उसे धक्का मारो। आपको तो कॉन्ग्रेस का चुनाव चिन्ह हटा कर कोहनी कर देना चाहिए – राष्ट्रीय धक्का मारो पार्टी

धक्का मारो? जिसके मुँह से यह निकल रहा है, इस व्यक्ति को हम असेट के तौर पर भी नहीं देख सकते। इनकी पार्टी और इनकी पार्टी के शहजादे एक लायबिलिटी थे, हैं और रहेंगे – असेट तो ये भाजपा के हैं सही मायने में!  

कैसे? अभी तो और देखिए। 26/11 आतंकी हमले में तहव्वुर राणा और डेविड हेडली जैसे आतंकवादियों के सामने आपने देश को सरेंडर किया। और जिस मोदी के लिए आप सरेंडर-सरेंडर चिल्ला रहे हैं, उसी ने अमेरिका से सरेंडर करवाया उस आतंकी को। आज वो तहव्वुर राणा भारत की जेल में है। 

कॉन्ग्रेस के ही टाइम जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमारे लोगों को घर में घुसकर मारा तो आप उनके सामने डॉजियर पर डॉजियर सरेंडर करते रहे।

UPA सरकार तो गोरों की उस तारीफ़ से ही खुश हो जाती है, जिसमें जब मुंबई आतंकी हमला हुआ था, तब हमारी आर्मी चीख चीखकर कह रही थी कि हमें बदला लेने दो लेकिन आपने तब भी पाकिस्तान के सामने सरेंडर कर दिया।

पीस के नाम पर भारत के लोगों को पीसा गया। और इनके फैलाए रायते को जब साफ किया जाए तो ये साइड में खड़े होकर ये देखते हैं कि और कितना रायता फैलाया जाए।

जिनकी पार्टी खुद अर्बन नक्सल्स के सामने स्वाहा हो चुकी है, यानी सरेंडर हो चुकी है… वो सरेंडर करने की बात कर रहे हैं। असल में जब भारत आगे बढ़ रहा होता है तो राहुल गाँधी को कुछ-कुछ सेंसेशन होती है। सेंसेशन जैसे, धक्का मारो, भाषा बताओ, धर्म बताओ, जाति बताओ आदि-इत्यादि।  

अरे राहुल गाँधी तुम्हें तब कोई शिकायत नहीं थी, जब पाकिस्तान हमें घर में घुस कर मार रहा था। तब आपने उनके सामने सरेंडर कर दिया था। लेकिन आज जब हम उन्हें घर में घुस कर कर मार रहे हैं, वो अपने अमेरिकी अब्बू के पास जा रहे हैं, तब आपको ये सरेंडर नजर आ रहा है?

तो राहुल गाँधी जी, ये हमारी तरफ़ से आपको फ्री की सलाह है – कि आप जो अपना भाग्य बदलने की कोशिश कर रहे हैं, उस कोशिश को आप सरेंडर कर दें। क्योंकि आप कभी भी इस देश के लोगों के लीडर नहीं बनने वाले हैं, ना आप इस देश को लीड करने वाले हैं, बल्कि सच यह है कि हम भारत के नागरिक आपसे  बड़ी विनम्रता से आज यह कहना चाहते हैं कि राहुल गाँधी, प्लीज़ शट अप!

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